श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध  »  श्लोक 17-18h
 
 
श्लोक  3.20.17-18h 
 
 
चिक्षिपुस्तानि शूलानि राघवं प्रति दुर्जयम्।
तानि शूलानि काकुत्स्थ: समस्तानि चतुर्दश॥ १७॥
तावद्भिरेव चिच्छेद शरै: काञ्चनभूषितै:।
 
 
अनुवाद
 
  राक्षसों ने श्री राघवेन्द्र पर निर्भीकतापूर्वक शूल चलाए, लेकिन श्री रामचन्द्रजी ने उन सभी चौदह शूलों को स्वर्ण से सजे हुए बाणों से काट दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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