श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.20.15 
 
 
एभिर्बाहुप्रयुक्तैश्च परिघै: शूलपट्टिशै:।
प्राणांस्त्यक्ष्यसि वीर्यं च धनुश्च करपीडितम्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  तेरे हाथों में दबे हुए इस धनुष, बल-पराक्रम के घमंड और अपने प्राणों को भी एक साथ ही त्यागना पड़ेगा, जब तेरे ऊपर ये परिघ, शूल और पट्टिशा हमारी भुजाओं द्वारा छोड़े जाएँगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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