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श्लोक 14
श्लोक
3.20.14
का हि ते शक्तिरेकस्य बहूनां रणमूर्धनि।
अस्माकमग्रत: स्थातुं किं पुनर्योद्धुमाहवे॥ १४॥
अनुवाद
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हम बहुत-से हैं और तू अकेला है, तेरे पास क्या शक्ति है कि तू हमारे सामने युद्ध के मैदान में खड़ा भी रह सके, फिर तो युद्ध की बात ही दूर है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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