श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.20.13 
 
 
क्रोधमुत्पाद्य नो भर्तु: खरस्य सुमहात्मन:।
त्वमेव हास्यसे प्राणान् सद्योऽस्माभिर्हतो युधि॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘अरे! तूने हमारे स्वामी महाकाय खरको क्रोध दिलाया है; अत: हमलोगोंके हाथसे युद्धमें मारा जाकर तू स्वयं ही तत्काल अपने प्राणोंसे हाथ धो बैठेगा॥ १३॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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