तिष्ठतैवात्र संतुष्टा नोपवर्तितुमर्हथ।
यदि प्राणैरिहार्थो वो निवर्तध्वं निशाचरा:॥ १०॥
अनुवाद
निशाचरो ! यदि तुम्हें युद्ध से संतोष है तो यहीं खड़े रहो, भागने का प्रयास मत करो | यदि तुम्हें अपने प्राणों से प्रेम है तो लौट जाओ और एक पल के लिए भी यहाँ मत रुको |