श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 20: श्रीराम द्वारा खर के भेजे हुए चौदह राक्षसों का वध  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.20.10 
 
 
तिष्ठतैवात्र संतुष्टा नोपवर्तितुमर्हथ।
यदि प्राणैरिहार्थो वो निवर्तध्वं निशाचरा:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  निशाचरो ! यदि तुम्हें युद्ध से संतोष है तो यहीं खड़े रहो, भागने का प्रयास मत करो | यदि तुम्हें अपने प्राणों से प्रेम है तो लौट जाओ और एक पल के लिए भी यहाँ मत रुको |
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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