श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 2: वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.2.4 
 
 
सीतया सह काकुत्स्थस्तस्मिन् घोरमृगायुते।
ददर्श गिरिशृङ्गाभं पुरुषादं महास्वनम्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  घोर जंगली पशुओं से भरे हुए उस दुर्गम वन में सीता जी के साथ भगवान श्री रामचंद्र जी ने एक नरभक्षी राक्षस को देखा, जो पर्वत की चोटी के समान ऊँचा था और ऊँची आवाज में गर्जना कर रहा था॥ ४॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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