श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 2: वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.2.26 
 
 
मम भुजबलवेगवेगित:
पततु शरोऽस्य महान् महोरसि।
व्यपनयतु तनोश्च जीवितं
पततु ततश्च महीं विघूर्णित:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  मेरा महान शर भुजाओं की शक्ति के वेग द्वारा प्रेरित होकर विराध के चौड़े वक्ष:स्थल पर गिरता हुआ तीव्र वेग से उसके प्राणों को शरीर से अलग कर दे। उसके बाद विराध चक्कर खाता हुआ पृथ्वी पर गिर पड़े।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे द्वितीय: सर्ग:॥ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें दूसरा सर्ग पूरा हुआ॥ २॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.