मेरा महान शर भुजाओं की शक्ति के वेग द्वारा प्रेरित होकर विराध के चौड़े वक्ष:स्थल पर गिरता हुआ तीव्र वेग से उसके प्राणों को शरीर से अलग कर दे। उसके बाद विराध चक्कर खाता हुआ पृथ्वी पर गिर पड़े।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे द्वितीय: सर्ग:॥ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें दूसरा सर्ग पूरा हुआ॥ २॥