श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 2: वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.2.25 
 
 
राज्यकामे मम क्रोधो भरते यो बभूव ह।
तं विराधे विमोक्ष्यामि वज्री वज्रमिवाचले॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  राज्य प्राप्ति की इच्छा के कारण भरत पर जो मेरा क्रोध था, उसे आज मैं विराध पर प्रकट करूंगा, जैसे वज्रधारी इंद्र पर्वत पर अपना वज्र प्रकट करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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