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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 2: वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण
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श्लोक 24
श्लोक
3.2.24
शरेण निहतस्याद्य मया क्रुद्धेन रक्षस:।
विराधस्य गतासोर्हि मही पास्यति शोणितम्॥ २४॥
अनुवाद
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‘मैं अभी कुपित होकर अपने बाणसे इस राक्षसका वध करता हूँ। आज यह पृथ्वी मेरे द्वारा मारे गये प्राणशून्य विराधका रक्त पीयेगी॥ २४॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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