वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 2: वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण
»
श्लोक 17
श्लोक
3.2.17
पश्य सौम्य नरेन्द्रस्य जनकस्यात्मसम्भवाम्।
मम भार्यां शुभाचारां विराधाङ्के प्रवेशिताम्॥ १७॥
अनुवाद
play_arrowpause
देखो प्रिय, राजा जनक की पुत्री और मेरी सती-साध्वी पत्नी सीता विराध के आलिंगन में ज़बरदस्ती चली गयी हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.