श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 2: वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.2.16 
 
 
तां दृष्ट्वा राघव: सीतां विराधाङ्कगतां शुभाम्।
अब्रवील्लक्ष्मणं वाक्यं मुखेन परिशुष्यता॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  शुभलक्षणों से सुशोभित सीता को अचानक विराध के चंगुल में फंसा देख श्रीरामचन्द्र जी का मुँह सूख गया और वे लक्ष्मण को सम्बोधित करके बोले-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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