श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 2: वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण  »  श्लोक 11-12h
 
 
श्लोक  3.2.11-12h 
 
 
कथं तापसयोर्वां च वास: प्रमदया सह ॥ १ १॥
अधर्मचारिणौ पापौ कौ युवां मुनिदूषकौ।
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे दिखने से तो तुम दोनों तपस्वियों जैसे लगते हो, फिर तुम्हारा स्त्रियों के साथ रहना कैसे संभव है? अधर्म परायणता और पापों से भरे हुए तुम दोनों कौन हो जो मुनि समाज के लिए कलंक का कारण बन रहे हो?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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