कथं तापसयोर्वां च वास: प्रमदया सह ॥ १ १॥
अधर्मचारिणौ पापौ कौ युवां मुनिदूषकौ।
अनुवाद
तुम्हारे दिखने से तो तुम दोनों तपस्वियों जैसे लगते हो, फिर तुम्हारा स्त्रियों के साथ रहना कैसे संभव है? अधर्म परायणता और पापों से भरे हुए तुम दोनों कौन हो जो मुनि समाज के लिए कलंक का कारण बन रहे हो?