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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 2: वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण
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श्लोक 1
श्लोक
3.2.1
कृतातिथ्योऽथ रामस्तु सूर्यस्योदयनं प्रति।
आमन्त्र्य स मुनीन् सर्वान् वनमेवान्वगाहत॥ १॥
अनुवाद
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प्रभात के सूर्योदय के समय उन महर्षियों का सत्कार करके और सभी मुनियों को विदा लेकर श्रीरामचन्द्रजी फिर से वन में आगे बढ़ने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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