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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना
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श्लोक 9
श्लोक
3.19.9
निहतस्य मया संख्ये शरसंकृत्तमर्मण:।
सफेनं रुधिरं कस्य मेदिनी पातुमिच्छति॥ ९॥
अनुवाद
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मेरे युद्धक बाणों से छिदकर मरने के कारण जिस व्यक्ति के प्राण चले गये हैं, उसको गर्म रक्त फेन सहित इस पृथ्वी को कौन पीना पसंद करेगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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