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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना
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श्लोक 5
श्लोक
3.19.5
बलविक्रमसम्पन्ना कामगा कामरूपिणी।
इमामवस्थां नीता त्वं केनान्तकसमागता॥ ५॥
अनुवाद
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बल और पराक्रम से परिपूर्ण, अपनी इच्छानुसार सर्वत्र विचरण करने में समर्थ और अपनी रुचि के अनुरूप रूप धारण करने में सक्षम, ऐसी तुम पर कौन सा अंतक आ पड़ा है? जिससे व्यथित होकर तुम यहाँ आई हो?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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