श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.19.26 
 
 
इति प्रतिसमादिष्टा राक्षसास्ते चतुर्दश।
तत्र जग्मुस्तया सार्धं घना वातेरिता इव॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  खर के आदेश का पालन करते हुए, वे चौदह राक्षस हवा द्वारा उड़ाए गए बादलों की तरह विवश होकर शूर्पणखा के साथ पंचवटी के लिए रवाना हो गए।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे एकोनविंश: सर्ग:॥ १९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें उन्नीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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