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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना
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श्लोक 25
श्लोक
3.19.25
युष्माभिर्निहतौ दृष्ट्वा तावुभौ भ्रातरौ रणे।
इयं प्रहृष्टा मुदिता रुधिरं युधि पास्यति॥ २५॥
अनुवाद
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‘रणभूमिमें उन दोनों भाइयोंको तुम्हारे द्वारा मारा गया देख यह हर्षसे खिल उठेगी और आनन्दमग्न होकर युद्धस्थलमें उनका रक्त पान करेगी’॥ २५॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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