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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना
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श्लोक 20
श्लोक
3.19.20
एष मे प्रथम: काम: कृतस्तत्र त्वया भवेत्।
तस्यास्तयोश्च रुधिरं पिबेयमहमाहवे॥ २०॥
अनुवाद
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‘रणभूमिमें उस स्त्रीका और उन पुरुषोंका भी रक्त मैं पी सकूँ—यह मेरी पहली और प्रमुख इच्छा है, जो तुम्हारे द्वारा पूर्ण की जानी चाहिये॥ २०॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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