श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.19.2 
 
 
उत्तिष्ठ तावदाख्याहि प्रमोहं जहि सम्भ्रमम्।
व्यक्तमाख्याहि केन त्वमेवंरूपा विरूपिता॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  उठो बहिनी और अपना हाल बताओ। बेहोशी और घबराहट को छोड़ो और साफ-साफ कहो, किसने तुम्हारे साथ ऐसा किया है जिससे तुम इस तरह से रूपहीन हो गई हो?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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