श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.19.18 
 
 
ताभ्यामुभाभ्यां सम्भूय प्रमदामधिकृत्य ताम्।
इमामवस्थां नीताहं यथानाथासती तथा॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  उस कामिनी के कारण ही उन्होंने मेरे साथ मिलकर एक अनाथ और कुलटा जैसा व्यवहार किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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