श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.19.15 
 
 
फलमूलाशनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।
पुत्रौ दशरथस्यास्तां भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  फल और जड़ ही उनका भोजन है। वे इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने वाले, तपस्वी और ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले हैं। वे दोनों राजा दशरथ के पुत्र और आपस में भाई-भाई हैं। उनके नाम राम और लक्ष्मण हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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