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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना
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श्लोक 12
श्लोक
3.19.12
उपलभ्य शनै: संज्ञां तं मे शंसितुमर्हसि।
येन त्वं दुर्विनीतेन वने विक्रम्य निर्जिता॥ १२॥
अनुवाद
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धीरे-धीरे होश में आओ और मुझे उस दुष्ट का नाम बताओ जिसने जंगल में तुम्हारे साथ लड़ाई की और तुम्हें हराया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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