श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.19.11 
 
 
तं न देवा न गन्धर्वा न पिशाचा न राक्षसा:।
मयापकृष्टं कृपणं शक्तास्त्रातुं महाहवे॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  जिस दयनीय अपराधी को मैं भयंकर युद्ध में पकड़ लूँ, तब देवता, गन्धर्व, पिशाच और राक्षस भी उसे नहीं बचा सकते।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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