श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 19: शूर्पणखा के मुख से उसकी दुर्दशा का वृत्तान्त सुनकर क्रोध में भरे हए खर का श्रीराम आदि के वध के लिये चौदह राक्षसों को भेजना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.19.1 
 
 
तां तथा पतितां दृष्ट्वा विरूपां शोणितोक्षिताम्।
भगिनीं क्रोधसंतप्त: खर: पप्रच्छ राक्षस:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  राक्षस खर ने अपनी बहन को क्षत-विक्षत और खून से लथपथ अवस्था में पृथ्वी पर पड़ा देखकर क्रोध से भड़क उठा और प्रश्न करने लगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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