श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.18.9 
 
 
कथं दासस्य मे दासी भार्या भवितुमिच्छसि।
सोऽहमार्येण परवान् भ्रात्रा कमलवर्णिनि॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  लाल कमल के समान गौर वर्णवाली सुंदर स्त्री! मैं तो भगवान श्री राम का सेवक हूँ, उनके अधीन हूँ, तो तुम मेरी पत्नी होकर दासी क्यों बनना चाहती हो?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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