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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना
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श्लोक 8
श्लोक
3.18.8
एवमुक्तस्तु सौमित्री राक्षस्या वाक्यकोविद:।
तत: शूर्पनखीं स्मित्वा लक्ष्मणो युक्तमब्रवीत्॥ ८॥
अनुवाद
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सौमित्री राक्षसी के ऐसा कहने पर बातचीत में निपुण लक्ष्मण मुस्कुराए और सूप से भी बड़े नख वाली निशाचरी से यह युक्ति युक्त बात बोले-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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