श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.18.26 
 
 
तत: सभार्यं भयमोहमूर्च्छिता
सलक्ष्मणं राघवमागतं वनम्।
विरूपणं चात्मनि शोणितोक्षिता
शशंस सर्वं भगिनी खरस्य सा॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  खर की बहन खूब सारे खून से लथपथ थी और भय और मोह के कारण बेहोशी की हालत में थी। उसने खर को बताया कि कैसे श्रीरामचंद्रजी सीता और लक्ष्मण के साथ जंगल में आए थे और उन्होंने उसे कुरूप कर दिया था।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डेऽष्टादश: सर्ग:॥ १८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें अठारहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १८॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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