श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.18.25 
 
 
ततस्तु सा राक्षससङ्घसंवृतं
खरं जनस्थानगतं विरूपिता।
उपेत्य तं भ्रातरमुग्रतेजसं
पपात भूमौ गगनाद् यथाशनि:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण द्वारा कुरूप बनाई गई शूर्पणखा वहां से भागकर राक्षस समूह से घिरे हुए भयंकर तेज वाले जनस्थान-निवासी भाई खर के पास गई और जैसे आकाश से बिजली गिरती है, उसी प्रकार वह पृथ्वी पर गिर पड़ी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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