श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.18.24 
 
 
सा विक्षरन्ती रुधिरं बहुधा घोरदर्शना।
प्रगृह्य बाहू गर्जन्ती प्रविवेश महावनम्॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  वह राक्षसी दिखने में बेहद डरावनी थी। वह अपने कटे हुए अंगों से लगातार खून की धारा बहाते हुए और दोनों भुजाएँ ऊपर उठाकर जोर-जोर से चिल्लाती हुई एक विशाल जंगल के अंदर घुस गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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