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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना
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श्लोक 23
श्लोक
3.18.23
सा विरूपा महाघोरा राक्षसी शोणितोक्षिता।
ननाद विविधान् नादान् यथा प्रावृषि तोयद:॥ २३॥
अनुवाद
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खून से लथपथ वह विकराल और भयभीत करने वाली राक्षसी विभिन्न प्रकार की आवाज़ों में ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी, जैसे मानसून के मौसम में बादल गरजते और बिजली चमकती हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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