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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना
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श्लोक 22
श्लोक
3.18.22
निकृत्तकर्णनासा तु विस्वरं सा विनद्य च।
यथागतं प्रदुद्राव घोरा शूर्पणखा वनम्॥ २२॥
अनुवाद
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नाक और कान कट जाने पर राक्षसी शूर्पणखा जोर-जोर से चिल्लाती हुई वन में भाग गई, जैसे वह जोर-जोर से चिल्लाती हुई आयी थी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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