श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.18.21 
 
 
इत्युक्तो लक्ष्मणस्तस्या: क्रुद्धो रामस्य पश्यत:।
उद‍्धृत्य खड्गं चिच्छेद कर्णनासे महाबल:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीरामचन्द्र जी के ऐसा कहने पर प्रबल क्रोध में भरे हुए लक्ष्मण ने उनके सामने ही तलवार निकाल ली और शूर्पणखा के नाक कान काट डाले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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