वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना
»
श्लोक 19
श्लोक
3.18.19
क्रूरैरनार्यै: सौमित्रे परिहास: कथंचन।
न कार्य: पश्य वैदेहीं कथंचित् सौम्य जीवतीम्॥ १९॥
अनुवाद
play_arrowpause
सुमित्रा नन्दन! क्रूर कर्म करने वाले अनार्यों से किसी भी हाल में परिहास भी नहीं करना चाहिए। सौम्य! देखिए न, इस क्षण सीता की प्राण किसी भी प्रकार मुश्किल से बचे हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.