श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.18.15 
 
 
इमां विरूपामसतीं करालां निर्णतोदरीम्।
वृद्धां भार्यामवष्टभ्य न मां त्वं बहु मन्यसे॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘राम! तुम इस कुरूप, ओछी, विकृत, धँसे हुए पेटवाली और वृद्धाका आश्रय लेकर मेरा विशेष आदर नहीं करते हो॥ १५॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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