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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना
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श्लोक 13
श्लोक
3.18.13
इति सा लक्ष्मणेनोक्ता कराला निर्णतोदरी।
मन्यते तद्वच: सत्यं परिहासाविचक्षणा॥ १३॥
अनुवाद
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लक्ष्मण के इस तरह व्यंग्यात्मक ढंग से कहने पर भी वह विकराल राक्षसी जो परिहास को समझने में असमर्थ थी, लक्ष्मण की बात को सच मान बैठी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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