श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.18.12 
 
 
को हि रूपमिदं श्रेष्ठं संत्यज्य वरवर्णिनि।
मानुषीषु वरारोहे कुर्याद् भावं विचक्षण:॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  वरवर्णिनि! सुंदर कटिप्रदेश वाली सुंदर युवती। कौन समझदार व्यक्ति तेरे इस श्रेष्ठ रूप को छोड़कर मानवी कन्या से प्रेम करेगा?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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