वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना
»
श्लोक 1
श्लोक
3.18.1
तां तु शूर्पणखां राम: कामपाशावपाशिताम्।
स्वेच्छया श्लक्ष्णया वाचा स्मितपूर्वमथाब्रवीत्॥ १॥
अनुवाद
play_arrowpause
श्री राम ने कामदेव के पाश से बँधी हुई उस शूर्पणखा से अपनी इच्छा के अनुसार मधुर और कोमल वाणी में मुस्कुराते हुए कहा-
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.