श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम के टाल देने पर शूर्पणखा का लक्ष्मण से प्रणययाचना करना, फिर उनके भी टालने पर उसका सीता पर आक्रमण और लक्ष्मण का उसके नाक-कान काट लेना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.18.1 
 
 
तां तु शूर्पणखां राम: कामपाशावपाशिताम्।
स्वेच्छया श्लक्ष्णया वाचा स्मितपूर्वमथाब्रवीत्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम ने कामदेव के पाश से बँधी हुई उस शूर्पणखा से अपनी इच्छा के अनुसार मधुर और कोमल वाणी में मुस्कुराते हुए कहा-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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