दीप्तास्यं च महाबाहुं पद्मपत्रायतेक्षणम्।
गजविक्रान्तगमनं जटामण्डलधारिणम्॥ ७॥
अनुवाद
उनका चेहरा बहुत उज्ज्वल था, भुजाएँ बहुत लंबी थीं, उनकी आँखें सुंदर और पूर्ण रूप से विकसित कमल की पंखुड़ियों की तरह थीं। वो हाथी की तरह धीमी गति से चलते थे। उन्होंने अपने सिर पर जटाएँ रखी हुई थीं।