वहाँ सीता के साथ प्रभु श्रीराम सुख पूर्वक रहने लगे थे। उन दिनों बड़े-बड़े ऋषि-मुनि आकर वहाँ उनका सत्कार करते थे। पर्णशाला में सीता के साथ बैठे हुए श्रीराम चित्रा नक्षत्र के साथ चमकते चन्द्रमा की तरह शोभायमान हो रहे थे। वे अपने भाई लक्ष्मण के साथ वहाँ तरह-तरह की बातें किया करते थे।