श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 17: श्रीराम के आश्रम में शूर्पणखा का आना, उनका परिचय जानना और अपना परिचय देकर उनसे अपने को भार्या के रूप में ग्रहण करने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.17.28 
 
 
तत: पर्वतशृङ्गाणि वनानि विविधानि च।
पश्यन् सह मया कामी दण्डकान् विचरिष्यसि॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  तब मेरे साथ वासना रहित होकर पर्वतीय शिखरों और नाना प्रकार के वनों की शोभा देखते हुए दण्डक वन में भ्रमण करोगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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