श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 17: श्रीराम के आश्रम में शूर्पणखा का आना, उनका परिचय जानना और अपना परिचय देकर उनसे अपने को भार्या के रूप में ग्रहण करने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.17.26 
 
 
विकृता च विरूपा च न सेयं सदृशी तव।
अहमेवानुरूपा ते भार्यारूपेण पश्य माम्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘यह विकारयुक्त और कुरूपा है, अत: तुम्हारे योग्य नहीं है। मैं ही तुम्हारे अनुरूप हूँ, अत: मुझे अपनी भार्याके रूपमें देखो॥ २६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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