श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 17: श्रीराम के आश्रम में शूर्पणखा का आना, उनका परिचय जानना और अपना परिचय देकर उनसे अपने को भार्या के रूप में ग्रहण करने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.17.25 
 
 
अहं प्रभावसम्पन्ना स्वच्छन्दबलगामिनी।
चिराय भव भर्ता मे सीतया किं करिष्यसि॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  मैं सम्पूर्ण दुनिया में घूम सकती हूँ और अपनी शक्तियों से कुछ भी कर सकती हूँ। इसलिए, लंबे समय तक तुम मेरे पति बन जाओ। तुम अबला सीता को अपने साथ लेकर क्या करोगे?
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.