श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 17: श्रीराम के आश्रम में शूर्पणखा का आना, उनका परिचय जानना और अपना परिचय देकर उनसे अपने को भार्या के रूप में ग्रहण करने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.17.22 
 
 
वीरो विश्रवस: पुत्रो यदि ते श्रोत्रमागत:।
प्रवृद्धनिद्रश्च सदा कुम्भकर्णो महाबल:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण, विश्रवा मुनि के वीर पुत्र हैं, यह बात शायद तुमने भी सुनी होगी। मेरा एक और भाई है, महाबली कुम्भकर्ण, जिसकी नींद हमेशा गहरी रहती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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