श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 17: श्रीराम के आश्रम में शूर्पणखा का आना, उनका परिचय जानना और अपना परिचय देकर उनसे अपने को भार्या के रूप में ग्रहण करने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.17.2 
 
 
आश्रमं तमुपागम्य राघव: सहलक्ष्मण:।
कृत्वा पौर्वाह्णिकं कर्म पर्णशालामुपागमत्॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  आश्रम में पहुँचकर श्रीराम और लक्ष्मण जी ने पूर्वकाल के अनुष्ठान-पूजन इत्यादि कार्य पूरे किये, उसके बाद वे दोनों भाई पर्णशाला में आकर बैठ गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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