श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 17: श्रीराम के आश्रम में शूर्पणखा का आना, उनका परिचय जानना और अपना परिचय देकर उनसे अपने को भार्या के रूप में ग्रहण करने के लिये अनुरोध करना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.17.16 
 
 
भ्रातायं लक्ष्मणो नाम यवीयान् मामनुव्रत:।
इयं भार्या च वैदेही मम सीतेति विश्रुता॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  "ये हैं मेरे छोटे भाई लक्ष्मण, जो सदा मेरी आज्ञा का पालन करते हैं और ये हैं मेरी पत्नी सीता, जो विदेहराज जनक की पुत्री हैं।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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