सेवमाने दृढं सूर्ये दिशमन्तकसेविताम्।
विहीनतिलकेव स्त्री नोत्तरा दिक् प्रकाशते॥ ८॥
अनुवाद
सूर्यदेव इन दिनों यमराज द्वारा सेवा की जाने वाली दक्षिण दिशा में दृढ़ता से रह रहे हैं। इसलिए उत्तर दिशा सिंदूर से रहित स्त्री के समान सुशोभित नहीं हो पा रही है।