श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  3.16.6 
 
 
नवाग्रयणपूजाभिरभ्यर्च्य पितृदेवता:।
कृताग्रयणका: काले सन्तो विगतकल्मषा:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  अभ्यर्च्य अर्थात् पूजा करके पितृ देवताओं एवं नवीन अन्न को आग्रयण किया जाता है। जो सज्जन पुरुष काल के अनुसार आग्रयण कर्म सम्पन्न करते हैं, वे पापों से मुक्त हो जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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