वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान
»
श्लोक 5
श्लोक
3.16.5
नीहारपरुषो लोक: पृथिवी सस्यमालिनी।
जलान्यनुपभोग्यानि सुभगो हव्यवाहन:॥ ५॥
अनुवाद
play_arrowpause
ऋतु के प्रभाव से लोग सूखे और ठंडे हो जाते हैं। पृथ्वी पर रबी की फसलें लहलहाती हैं। पानी बहुत ठंडा होने के कारण पीने के लायक नहीं रहता और आग बहुत प्यारी लगती है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.