श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.16.5 
 
 
नीहारपरुषो लोक: पृथिवी सस्यमालिनी।
जलान्यनुपभोग्यानि सुभगो हव्यवाहन:॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋतु के प्रभाव से लोग सूखे और ठंडे हो जाते हैं। पृथ्वी पर रबी की फसलें लहलहाती हैं। पानी बहुत ठंडा होने के कारण पीने के लायक नहीं रहता और आग बहुत प्यारी लगती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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