श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.16.4 
 
 
अयं स काल: सम्प्राप्त: प्रियो यस्ते प्रियंवद।
अलंकृत इवाभाति येन संवत्सर: शुभ:॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  प्रिय वचन बोलने वाले भैया श्रीराम! वह हेमन्त काल आ गया है जो आपको सर्वाधिक प्रिय है और इसी से यह शुभ संवत्सर अलंकृत सा लगता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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