श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  3.16.39 
 
 
संस्मराम्यस्य वाक्यानि प्रियाणि मधुराणि च।
हृद्यान्यमृतकल्पानि मन:प्रह्लादनानि च॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  मैं भरत के कहे हुए उन प्रिय, मधुर, हृदय को प्रसन्न करने और अमृत के समान शब्दों को स्मरण कर रहा हूं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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